हम यूँ खड़े हैं हाथ में तख्ती लिए हुए
लौटेगा अब वो बालों में चांदी लिए हुए
सोने का शौक़ थोड़े है सोते हैं इसलिए
आता है कोई ख्वाब में तितली लिए हुए
बचपन की छेड़छाड़ थी अब उसको भूल जा
बैठा है दिल में बात तू अब भी लिए हुए
रोटी की फ़िक्र ने उसे रिक्शा थमा दिया
भटका बहुत वो हाथ में डिग्री लिए हुए
आदिल रशीद