Friday, July 24, 2009

ghazal khwaab:aankhon me paalte rehna /Aadil Rasheed



1 comment:

Rajeev Bharol said...

आदिल जी,
गज़ल बहुत अच्छी लगी.
मतला बहुत ही अच्छा है.
अंकशाफ का मतलब नहीं पता इसलिए दूसरा शेर समझ नहीं आया.
"ख्वाब रख देगा तेरी आँखों में.." बहुत अच्छा लगा.
"आग में तेल..", "पानी उबलते रहना" मिसरे और शेर बहुत अच्छे लगे.
मकता सोचने पर मजबूर करता है. बहुत उम्दा!