
Monday, May 4, 2009
Sunday, May 3, 2009
Saturday, May 2, 2009
भूले भलके ही आशकी कर लो ......आदिल रशीद
गोशा ए दिल में रोशनी कर लो
भूले भटके ही आशकी कर लो
नफरतों से निकाल कर खुद को
मकतबे हुब की पैरवी कर लो
तंज़ रिश्तो का ख़ास दुश्मन है
छोड़ दो इसको शायरी कर लो
जेहन कहता है छोड़ दो उसको
दिल ये कहता है खुदकशी कर लो
हम ही हथियार डाल देते हैं
अब जो दिल चाहे तुम वही कर लो
कौन क्या है ये सब समझते हैं
बाते कितनी बड़ी बड़ी कर लो

भूले भटके ही आशकी कर लो
नफरतों से निकाल कर खुद को
मकतबे हुब की पैरवी कर लो
तंज़ रिश्तो का ख़ास दुश्मन है
छोड़ दो इसको शायरी कर लो
दिल ये कहता है खुदकशी कर लो
हम ही हथियार डाल देते हैं
अब जो दिल चाहे तुम वही कर लो
कौन क्या है ये सब समझते हैं
बाते कितनी बड़ी बड़ी कर लो

इक मुनाफ़िक़ से दोस्ती करना ....आदिल रशीद ik munafiq se dosti karna ... aadil rasheed
ik munafiq se dosti karna
jaise qiston me khudkushi karna
इक मुनाफ़िक़ से दोस्ती करना
जैसे किस्तों में ख़ुदकुशी करना
jiski fitrat me ho adakaari
uski har baat ansuni karna
जिसकी फितरत में हो अदाकारी
उसकी हर बात अनसुनी करना
kaun rehta hai dil khaana e dil me
tum kabhi apnee mukhbaree karna
कौन रहता है खाना ए दिल में
तुम कभी अपनी मुखबरी करना
yaad hai wo haseen daur mujhe
aap ka mujh se dillagi karna
याद है वो हसीन दौर मुझे
आप का मुझ से दिल्लगी करना
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