Saturday, May 2, 2009

भूले भलके ही आशकी कर लो ......आदिल रशीद

गोशा ए दिल में रोशनी कर लो
भूले भटके ही आशकी कर लो

नफरतों से निकाल कर खुद को
मकतबे हुब की पैरवी कर लो

तंज़ रिश्तो का ख़ास दुश्मन है
छोड़ दो इसको शायरी कर लो

जेहन कहता है छोड़ दो उसको
दिल ये कहता है खुदकशी कर लो

हम ही हथियार डाल देते हैं
अब जो दिल चाहे तुम वही कर लो

कौन क्या है ये सब समझते हैं
बाते कितनी बड़ी बड़ी कर लो



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